/ Jul 05, 2025

परेश रावल का वेब सीरीज पर बड़ा बयान: “गाली-गलौच सीन दिखाकर सस्ती पब्लिसिटी पाने की कोशिश की जाती है”

HIGHLIGHTS

  1. परेश रावल ने वेब सीरीज के बढ़ते गालियों और इंटीमेट सीन पर कड़ी आपत्ति जताई।
  2. उन्होंने कहा- “सस्ती लोकप्रियता के लिए अश्लीलता दिखाना दर्शकों का अपमान है”।
  3. एक्टिंग और स्क्रिप्ट की गहराई ही असली कंटेंट की पहचान होनी चाहिए।

Paresh Rawal Slams Web Series Content: बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता परेश रावल ने एक बार फिर समाज और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े एक अहम मुद्दे पर अपनी राय रखी है। इस बार उन्होंने वेब सीरीज के बढ़ते चलन और उसमें दिखाई जा रही अत्यधिक हिंसा, गालियां और इंटीमेट सीन्स को लेकर नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि कुछ निर्माता केवल दर्शकों का ध्यान खींचने के लिए इन चीज़ों का सहारा ले रहे हैं, जो एक चिंताजनक स्थिति बनती जा रही है।

यह न्यूज़19 की एक्सक्लूसिव रिसर्च न्यूज़ है जिसमें परेश रावल वेब सीरीज़ के बारे में बताते हैं। कुछ दिन पहले हमने पंकज त्रिपाठी की नई मूवी ‘पारिवारिक मनोरंजन’ पर भी रिसर्च किया था, आप चाहें तो पढ़ सकते हैं।

परेश रावल ने क्यों जताई चिंता?

परेश रावल का मानना है कि आजकल कई वेब सीरीज में अश्लीलता, गालियों और नग्नता का अति प्रयोग किया जा रहा है। वह कहते हैं कि ये सब सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिशें हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कंटेंट में दम नहीं है, जो मेकर्स को इन सब चीजों का सहारा लेना पड़ता है?

उन्होंने कहा –

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की आज़ादी बन रही है खतरा?

परेश रावल ने इस दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की अनियंत्रित आज़ादी पर भी चिंता जताई। उनके मुताबिक़, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सेंसर बोर्ड की सीधी निगरानी नहीं होने के कारण कुछ निर्माता इसका गलत फायदा उठा रहे हैं।

वेब सीरीज की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ी है, लेकिन उसके साथ ही इसमें प्रस्तुत की जा रही सामग्री पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं। परेश रावल का कहना है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाली पीढ़ी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

सिर्फ गालियों और अश्लीलता से नहीं बनता कंटेंट

परेश रावल का मानना है कि कोई भी कहानी तभी अच्छी लगती है जब उसमें भावना, सशक्त संवाद और मौलिकता हो। यदि हर कहानी में केवल अभद्र भाषा और नग्नता पर ध्यान दिया जाएगा, तो इससे कंटेंट की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि:

दर्शकों की बदलती पसंद भी एक वजह?

आज की डिजिटल दुनिया में युवाओं की एक बड़ी संख्या वेब सीरीज देखती है। ऐसे में कुछ निर्माता इस बात का फायदा उठाकर उन्हीं को टारगेट करते हुए बोल्ड कंटेंट पर फोकस कर रहे हैं। लेकिन परेश रावल का कहना है कि हर युवा केवल इंटीमेट सीन्स देखने में रुचि नहीं रखता।

उनका कहना है कि दर्शकों को भी समझदारी दिखानी चाहिए और ऐसे कंटेंट को नकारना चाहिए जो सिर्फ सस्ता एंटरटेनमेंट देने के लिए बनाया गया हो।

क्या सेंसरशिप होनी चाहिए ओटीटी पर?

यह सवाल अब और तेज़ी से उठने लगा है कि क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी सेंसरशिप होनी चाहिए? परेश रावल की टिप्पणी से यह साफ होता है कि वे इस विचार के पक्षधर हैं कि कोई न कोई नियामक संस्था या गाइडलाइंस तो ज़रूर होनी चाहिए।

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अधिक छूट कभी-कभी कंटेंट को दिशा से भटका देती है, और यही हो रहा है ओटीटी इंडस्ट्री में। हालांकि कुछ निर्माता रचनात्मक स्वतंत्रता के पक्ष में हैं, लेकिन आलोचकों की संख्या भी कम नहीं।

क्या बदलाव चाहते हैं परेश रावल?

परेश रावल ने केवल आलोचना नहीं की, बल्कि समाधान भी सुझाए। उन्होंने कहा कि:

  • अच्छी स्क्रिप्ट और मजबूत अभिनय ही किसी वेब सीरीज को सफल बना सकते हैं।
  • अश्लीलता और गालियों की जगह संवादों में गहराई और कहानी में उद्देश्य होना चाहिए।
  • नए लेखकों और निर्देशकों को मौलिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

परेश रावल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर यूज़र्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि “कंटेंट की गुणवत्ता दिन-ब-दिन गिरती जा रही है”, जबकि कुछ यूज़र्स ने कहा कि “यह दर्शकों की पसंद है, किसी पर थोपा नहीं जा सकता”।

लेकिन एक बात साफ है कि इस मुद्दे ने ओटीटी इंडस्ट्री में कंटेंट की सीमाओं पर फिर से चर्चा छेड़ दी है।

निष्कर्ष

परेश रावल का बयान इंडस्ट्री के एक ऐसे पहलू को उजागर करता है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है – “कंटेंट में जिम्मेदारी”। मनोरंजन के नाम पर जब कंटेंट अपनी सीमाएं लांघने लगता है, तो उस पर सवाल उठाना जरूरी है।

क्या अब वक्त आ गया है कि निर्माता और दर्शक दोनों ही गुणवत्ता और जिम्मेदारी की ओर रुख करें? क्या सेंसरशिप की जरूरत है या नहीं? इन सवालों के जवाब इंडस्ट्री को खुद तलाशने होंगे।

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