HIGHLIGHTS
- तेज़ ब्रेकिंग के दौरान टायर लॉक नहीं होंगे, हादसे की संभावना होगी कम
- 2026 से सभी नई बाइकों में ABS लगाना होगा अनिवार्य
- यूरोप में पहले से अनिवार्य, अब भारत भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहा
जैसा कि आप जानते हैं, भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार चिंता जताई जाती है। रोज़ाना हज़ारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं, और इनमें एक बड़ा हिस्सा दोपहिया वाहन (Two-Wheeler) चालकों का होता है। ऐसे में हमारी भारत सरकार ने सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कुछ कदम बढ़ाए हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 2026 से सभी नए दोपहिया वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम यानी ABS (Anti-lock Braking System) लगाना अनिवार्य होगा।
ये फैसला ऐसे ही अचानक नहीं लिया गया है। इसके पीछे काफी वक्त की रिसर्च, एक्सपर्ट्स की सलाह और इंटरनेशनल एक्सपीरियंस शामिल है। भारत जैसे देश में, जहां हर साल लाखों बाइक बिकती हैं और कई जगह की सड़कें अब भी उतनी सेफ नहीं हैं, वहां इस तरह की तकनीक को ज़रूरी बनाना बहुत ही सही कदम माना जा रहा है।
यह न्यूज़19 की डीप रिसर्च है। हमने इस आर्टिकल में ABS के बारे में पूरा बताया है। हम Car से जुड़े कई सारे पोस्ट पर भी गहरी रिसर्च करते हैं।
ABS सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करता है?
ABS यानी एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जो वाहन के ब्रेकिंग सिस्टम को उस स्थिति में भी नियंत्रण में रखती है जब चालक अचानक ब्रेक लगाता है। नॉर्मल ब्रेकिंग सिस्टम में टायर पर ब्रेक लगने पर टायर लॉक हो जाती है और स्किड होने लगती है, जिस कारण एक्सीडेंट और गिरने के चांस बढ़ जाते हैं। लेकिन ABS इस लॉकिंग को रोकता है और टायर को “रोल” में ही रखता है।
ABS सेंसर के जरिए टायर्स की गति पर नजर रखता है। जैसे ही कोई टायर लॉक होने लगता है, ABS अपने सिस्टम के ज़रिए ब्रेक प्रेशर को कम करता है और तुरंत दोबारा बढ़ाता है। यह प्रक्रिया कुछ सेकंड के भीतर कई बार होती है, जिससे वाहन का नियंत्रण बना रहता है। इस वजह से चालक को न सिर्फ ब्रेकिंग में मदद मिलती है, बल्कि वह गाड़ी को स्टीयर भी कर सकता है — जो आम ब्रेकिंग सिस्टम में संभव नहीं होता।
इस वीडियो के जरिए आप ABS को और अच्छे से समझ सकते हैं।
भारत में ABS को लेकर अब तक की स्थिति
अब तक भारत में सिर्फ 125cc से ऊपर की बाइक्स में ABS या CBS (Combined Braking System) जैसी तकनीक को सीमित रूप से अनिवार्य किया गया था। लेकिन अब भी 125cc से कम की बाइक व स्कूटर सड़कों पर चल रही हैं, जिस पर ABS का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह वही वाहन हैं जिसमें गरीब परिवार व युवा शामिल होते हैं और सस्ते के चक्कर में ऐसी गाड़ियाँ खरीदते हैं, और इन गाड़ियों में सबसे ज़्यादा एक्सीडेंट होते हैं।
सरकार के नए फैसले के अनुसार, 1 अप्रैल 2026 से 125cc या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले हर दोपहिया वाहन में ABS अनिवार्य होगा। इससे पहले वाहन निर्माता कंपनियों को इस तकनीक को अपनाने का समय दिया गया है।
सड़क सुरक्षा के लिए क्यों जरूरी है ABS?
इस बात में कोई शक नहीं कि ABS तकनीक दुर्घटनाओं को घटाने में अहम भूमिका निभाती है। कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि ABS लगे वाहनों में हादसों की संभावना 30% तक कम हो जाती है। खासकर बारिश, धूलभरी सड़कें या अचानक रुकने की स्थिति में ABS वाहन को स्लिप होने से बचाता है। यही नहीं, ये तकनीक ब्रेकिंग डिस्टेंस को भी प्रभावी ढंग से कम कर देती है, जिससे जानमाल का नुकसान काफी हद तक रोका जा सकता है।
भारत की सड़कों की हालत को देखते हुए यह तकनीक और भी ज़रूरी हो जाती है। कई जगहों पर गड्ढों, गीली सड़कों या गलत सिग्नल की वजह से हादसे होते हैं। ABS सिस्टम ऐसे हर मुश्किल मोड़ पर वाहन को नियंत्रित बनाए रखने में सहायक होता है।
क्या कहती हैं अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स?
यूरोपीय यूनियन ने काफी पहले ही अपने सदस्य देशों में सभी दोपहिया वाहनों में ABS को अनिवार्य कर दिया है। यूरोपियन रोड सेफ्टी ऑब्जर्वेटरी की रिपोर्ट के अनुसार, ABS की वजह से दोपहिया दुर्घटनाओं में 38% तक की कमी दर्ज की गई है। जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे देशों में ABS अब एक बेसिक सेफ्टी फीचर बन चुका है।
सिर्फ कारों ही नहीं, बल्कि मोटरसाइकिलों में भी ABS को उतना ही महत्व दिया जाने लगा है जितना एयरबैग्स को। भारत जैसे देश में, जहां 70% सड़क उपयोगकर्ता दोपहिया वाहनों पर चलते हैं, वहां ABS जैसी तकनीक को देर से ही सही, लेकिन अब प्राथमिकता दी जा रही है।
उद्योग पर असर और संभावनाएं
नए नियम के अनुसार अब सभी ऑटोमोबाइल कंपनियों को सभी दोपहिया गाड़ियों में ABS लगाना अनिवार्य होगा। इससे शुरुआती स्तर पर उत्पादन लागत बढ़ेगी और वाहन की कीमतों में भी थोड़ा इज़ाफा हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह लागत सुरक्षा के सामने बहुत छोटी है।
भारतीय ग्राहक भी अब जागरूक हो रहे हैं। पहले जहां माइलेज, लुक और कीमत को ही प्राथमिकता दी जाती थी, अब ग्राहक ब्रेकिंग सिस्टम, टायर क्वालिटी और सेफ्टी फीचर्स पर भी ध्यान दे रहे हैं। इस ट्रेंड के चलते कंपनियां भी अब ABS जैसी टेक्नोलॉजी को अपनी बिक्री की USP बना रही हैं।
निष्कर्ष:
भारत में सड़क हादसों को रोकने के लिए यह कदम बेहद ज़रूरी था। हालांकि इस फैसले में देरी हुई है, लेकिन अब जब यह निर्णय आ चुका है, तो हमें इसका स्वागत करना चाहिए। ABS न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
आने वाले समय में उम्मीद है कि सरकार ऐसे और भी तकनीकी बदलाव लाएगी जो सड़क सुरक्षा को मज़बूत करें। और बतौर उपभोक्ता, हमें भी अब समय आ गया है कि हम सिर्फ ब्रांड या माइलेज न देखकर सेफ्टी को भी खरीदारी का पैमाना बनाएं।
FAQ: ABS
1. ABS क्या होता है और यह बाइक में कैसे काम करता है?
ABS यानी एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम एक सेफ्टी फीचर है जो अचानक ब्रेक लगाने पर टायर को लॉक होने से रोकता है। इससे गाड़ी फिसलने या पलटने की आशंका कम हो जाती है।
2. भारत में कब से दोपहिया वाहनों के लिए ABS जरूरी होगा?
सरकारी नियम के अनुसार, 1 अप्रैल 2026 से भारत में सभी नई दोपहिया गाड़ियों में ABS लगाना अनिवार्य होगा। यह नियम रोड सेफ्टी को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है।
3. ABS और CBS में क्या अंतर है?
ABS (Anti-lock Braking System) टायर को लॉक होने से रोकता है, जबकि CBS (Combined Braking System) दोनों ब्रेक को एक साथ एक्टिव करता है। ABS ज़्यादा सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
4. क्या पुराने दोपहिया वाहनों में भी ABS लगाना अनिवार्य होगा?
नहीं, यह नियम केवल नए वाहनों पर लागू होगा जो 1 अप्रैल 2026 के बाद बिक्री के लिए आएंगे। पुराने वाहनों पर यह अनिवार्यता नहीं है, लेकिन स्वेच्छा से लगवाना फायदेमंद हो सकता है।

दीपक कुमार एक उत्साही ऑटोमोबाइल विशेषज्ञ हैं, जो कार, बाइक, इलेक्ट्रिक वाहन और ऑटो इंडस्ट्री से जुड़ी हर ताज़ा जानकारी को तेज़ी और विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्हें टेक्नोलॉजी और वाहन क्षेत्र का गहरा अनुभव है, और उन्होंने कई रिव्यू, फीचर आर्टिकल और तुलना आधारित विश्लेषण लिखे हैं। उनका उद्देश्य है पाठकों को खरीदी से पहले सही जानकारी देना, जिससे वे समझदारी से निर्णय ले सकें। दीपक तकनीकी विश्लेषण और ग्राहकों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर लेखन करते हैं।