Sant Kabir Das Ji — आज पूरे देश में महान संत और कवि संत कबीरदास जी की 627वीं जयंती श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है। उनके दोहे और विचार आज भी समाज को मार्गदर्शन देते हैं और आध्यात्मिक चेतना जगाते हैं।
संत कबीर कौन थे?
संत कबीरदास 15वीं सदी के एक महान भक्त कवि और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1398 में माना जाता है। कबीर पंथ के प्रवर्तक रहे कबीरदास ने जात-पात, अंधविश्वास और पाखंड के खिलाफ कड़ी आवाज उठाई।
कबीर जयंती का महत्व
- यह जयंती ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
- इसे कबीर प्रकट उत्सव भी कहा जाता है।
- संत कबीर के अनुयायी और कई सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाएं इस दिन भजन, कीर्तन और सत्संग का आयोजन करती हैं।
देशभर में कैसे मनाई जा रही है कबीर जयंती?
- मध्य प्रदेश के दतिया, बिहार के मधुबनी और अन्य कई जिलों में भव्य कार्यक्रम हो रहे हैं।
- कबीर पंथियों द्वारा शोभा यात्राएं निकाली जा रही हैं।
- स्कूलों में दोहा पाठ, कविता प्रतियोगिताएं और भाषण समारोह भी आयोजित किए जा रहे हैं।
10 प्रसिद्ध कबीर के दोहे
- गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय।
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
- माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
- पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
- साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
- कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
- निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
- चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोय।
- जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
- कबिरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
विचार
कबीरदास के दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने सदियों पहले थे। उनकी शिक्षाएं हमें एकता, मानवता और सच्चे धर्म की ओर प्रेरित करती हैं। कबीर जयंती सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और समाज सुधार का अवसर है।
कबीर जयंती 2025
1. कब मनाई जा रही है कबीर जयंती 2025?
संत कबीर जयंती 2025 को 11 जून, बुधवार के दिन मनाया जा रहा है, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन आता है।
2. संत कबीर का जन्म कब हुआ था?
संत कबीरदास का जन्म 1398 ईस्वी में माना जाता है। वे एक महान समाज सुधारक और संत कवि थे।
3. कबीर जयंती कैसे मनाई जाती है?
इस दिन कबीर पंथी भजन-कीर्तन, शोभा यात्रा और सत्संग का आयोजन करते हैं। विद्यालयों में दोहा पाठ और भाषण प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
4. संत कबीर के प्रसिद्ध दोहे कौन-कौन से हैं?
“गुरु गोविंद दोउ खड़े”, “बुरा जो देखन मैं चला”, “माला फेरत जुग भया” जैसे दोहे आज भी लोगों को मार्ग दिखाते हैं।
5. कबीर जयंती का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
यह दिन आत्मचिंतन, समाज में समानता का संदेश और धर्म के सच्चे स्वरूप को समझने का अवसर प्रदान करता है।
कबीरदास की शिक्षाएं आज के समय में क्यों ज़रूरी हैं?
आज के दौर में जब समाज कई स्तरों पर बंटा हुआ है — जाति, धर्म और भाषा के नाम पर — संत कबीरदास की शिक्षाएं हमें समरसता, भाईचारे और आत्मबोध की राह दिखाती हैं। उन्होंने कहा था कि सच्चा धर्म न मंदिर में है, न मस्जिद में — बल्कि इंसान के अंदर है। उनकी बातों में न सिर्फ आध्यात्मिकता थी, बल्कि सामाजिक क्रांति की चेतना भी थी।

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